हजयरी प्रसयद को रयहत कब लमिय?
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भारत की आजादी'' गांधी के पहले
आजादी का मतलब महज 1947 नही है, ये कहानी शुरु हुई साल 1857 से। हालांकि इस बात पर तमाम इतिहासकार सहमत नहीं है कि ये आजादी का संघर्ष था या तब के राजाओं द्वारा अपनी सत्ता बनाये रखने का प्रयास। आज हम इस विवाद पर नहीं बल्कि आजादी के शुरुआती बिगुल की बात करेंगे, यह विद्रोह। प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सिपाही विद्रोह और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है। 1857 की क्रान्ति की शुरूआत '10 मई 1857' को मेरठ मे हुई थी
Bengal Native Infantry की 34वीं बटालियन के सैनिक मंगल पांडे ने एक सिपाही विद्रोह के रूप में इस आंदोलन को मेरठ में शुरू किया गया था, जो नई एनफील्ड राइफल में लगने वाले कारतूस के कारण हुआ था। ये कारतूस गाय और सूअर की चर्बी से बने होते थे जिसे सैनिक को राइफल में इस्तेमाल करने के लिए मुंह से हटाना होता था और ऐसा करने से सैनिकों ने मना कर दिया था, लेकिन ये सिर्फ यही तक सीमित नही रहा। अलग-अलग जगहों पर अलग तरीको से विद्रोह हुआ। मंगल पांडे की ही तरह बख़्त खान, बेगम हजरत महल, नाना साहब,रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे जैसे तमाम सेनानियो ने क्रांति मे बढ-चढकर हिस्सा लिया था।
इस क्रांति के बाद अंग्रेजों को एहसास हो गया कि भारत में अब स्वराज की कल्पना बहुत जल्दी अपना सुर उठाएगी, इसलिए 1858 में ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों से सत्ता छीन ली गयी और महारानी यानि ब्रिटिश क्राउन को सत्ता सौंप दी गयी।
इसके बाद भारत का गवर्नर जनरल अब वायसराय कहा जाने लगा, लेकिन असंतोष तो अब भी था, इसलिए शांति बनाये रखने के लिए ए.ओ ह्यूम के दिमाग ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को जन्म दिया। ब्रिटिश थिंक टैंक के अनुसार, भारतीय जनता और ब्रिटिश सरकार के बीच, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक बफ़र यानि प्रतिरोधी संगठन होगा। यह आंदोलन केवल 72 प्रतिनिधियों के साथ शुरू हुआ था, 1947 में स्वतंत्रता आंदोलन के अंत तक कांग्रेस 15 मिलियन से अधिक सदस्यों के साथ एक मजबूत पार्टी के रूप में उभरी थी।
साल 1899 के पहले महीने जनवरी के साथ कैलेंडर में सिर्फ साल नहीं बदला, बल्कि इसने भारत के पूरे इतिहास और गंगा जमुनी तहज़ीब को बदलकर रख दिया।
दरअसल इस साल भारत को वायसराय मिला लॉर्ड कर्जन ऐसा वायसराय जिसने भारत के बंगाल को 1905 में विभाजित कर दिया, वो भी पूर्वी और पश्चिमी बंगाल के रूप में। ये भौगोलिक विभाजन कतई नहीं था बल्कि ये धार्मिक रूप से विभाजन किया गया था। मुस्लिम और हिन्दू आबादी को ध्यान में रखकर ये बंटवारा हुआ था, इस बंटवारे ने भारत को ही बाँट कर रख दिया था। मुस्लिम और हिंदूओं की एकता ब्रिटिशों के लिए मुख्य खतरा थी। विभाजन 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी हुआ था, विभाजन के कारण पैदा हुई राजनीतिक अशांति के बीच 1911 में दोनो तरफ की भारतीय जनता के दबाव की वजह से बंगाल के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से एक हो गए थे, इसका एक दूरगामी परिणाम ये हुआ कि अब भारत के नेताओं के अन्दर राष्ट्रीय चेतना का विकास हुआ।
तारीखें बदलती चली गयी और साल 1915 ने भारत को वो दिया जिसके बिना आजादी का संघर्ष संभव न हो पाता-मोहनदास करमचंद गाँधी यानि भारत के राष्ट्रपिता।
गांधी जी गोपाल कृष्ण गोखले के अनुरोध पर भारत लौटे, इसके पहले वो दक्षिण अफ्रीका में औपनिवेशिक साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे। उन्होंने भूमि कर जैसे दमनकारी औपनिवेशिक कानूनों के विरोध में किसानों और मजदूरों के पक्ष में आवाज़ उठानी शुरू की, गांधी जी 1921 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे।
यहां से एक नए कालखण्ड की शुरुआत होती है जिसमें गांधी जी धीरे-धीरे केन्द्र बनते चले जाएगें और इसके बारे में भी हम आपको सब कुछ बताएंगे।