हल्कू खेत पर कहाँ और कैसे रात बिता रहा था ?
Answers
पूस की रात में हल्कू अपने खेत के किनारे बनी ईख के पत्तों की एक छतरी के नीचे रात बिता रहा था। वह बाँस के खटोले पर था और उसके पास कड़ाके की ठंड से बचने के लिए पुराने गाढ़े की चादर के सिवाय और कुछ नहीं था। उसकी खाट के नीचे उसका कुत्ता जबरा था।
Answer:
पुस की रात, हल्कू अपने खेत के किनारे ईख के पत्तों की छतरी के नीचे रात बिता रहा था। वह बांस की चौकी पर था और उसके पास कड़ाके की ठंड से बचाने के लिए एक पुरानी मोटी चादर के अलावा कुछ नहीं था। उनकी खाट के नीचे उनका कुत्ता जबरा था।
Explanation:
'पूस की रात' की कहानी प्रेमचंद जी ने लिखी है।
'पूस की रात' कहानी में हल्कू के माध्यम से कहानी कर ने भारतीय किसान की बेबसी को यथार्थ रूप से चित्रित किया है। यह कहानी एक गाँव में हल्कू नाम का एक गरीब किसान अपनी पत्नी के साथ रहता था। पुस की रात, हल्कू अपने खेत के किनारे ईख के पत्तों की छतरी के नीचे रात बिता रहा था। वह बांस की चौकी पर था और उसके पास कड़ाके की ठंड से बचाने के लिए एक पुरानी मोटी चादर के अलावा कुछ नहीं था। उनकी खाट के नीचे उनका कुत्ता जबरा था।
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