Halku kambal ke paise sahana ko dene ke lie kyo taiyar ho gaya
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ये प्रश्न ‘मुंशी प्रेमचंद’ द्वारा लिखित “पूस की रात” कहानी से लिया गया है।
ये कहानी एक गरीब किसान की कहानी है जो अभावों से ग्रस्त है और जिसे पूस माह की कड़कती ठंड में पर्याप्त वस्त्रों और ठंड से बचाव के इंतजामों के बिना ही अपनी फसल की जानवरों से रक्षा के लिये पूरी रात अपने खेत पर ठिठुरते हुये गुजारनी पड़ती है।
कहानी में एक प्रसंग आता है जब सहना नाम का एक व्यक्ति हल्कू को कर्ज पर दी गयी रकम की वसूली करने के लिये उसके घर आता है।
हल्कू ने जैसे-तैसे जोड़जाड़ कर तीन रुपये जमा किये थे जो उसने कंबल खरीदने के लिये रखे थे ताकि इस कड़कती ठंड में जब खेतों में रखवाली करनी पड़े तो वो कंबल काम आये।
पर अचानक सहना अपनी वसूली करने आ गया तो उसके कंबल के रखे गये इन तीन रुपये के अतिरिक्त और कोई पैसे नही थे। वो सहना का स्वभाव जानता था कि पैसे न देने की स्थिति में सहना गाली-गलौज करेगा और हंगामा करेगा। इस कारण लोक-लाज और अपमान के भय से हल्कू कंबल के पैसे सहना को देने के लिये विवश हो गया।