Ham pagal h hame hi rahne do bhagat singh shayari in hindi
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☆ शहीदो की चिताओं पर लगेगें
हर बरस मेले,
वतन पे मर मिटनेवालों का
बाकी यही निशां होगा ।
☆ मेरे जज़्बातों से इस कदर
वाकिफ हैं मेरी कलम , मैं
इश्क़ भी लिखना चाहूँ , तो
इंकलाब
लिखा जाता हैं ।
☆ राख का हर एक कण
मेरी गर्मी से गतिमान है ।
मैं एक ऐसा पागल हूँ
जो जेल में भी आजाद हैं।।
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