ham sabko swawlambhi banna chaiye swamat
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Answer:
स्वावलम्बन का मतलब है, आत्मनिर्भरता, एवं आत्मनिर्भर होने का तात्पर्य है कि अपने काम स्वयं करना, किसी भी वस्तु, जरुरत के लिए किसी पर निर्भर न होना. आत्मनिर्भर होने से इन्सान के अंदर आत्मविश्वास पैदा होता है, जिससे दुनिया की किसी भी परेशानी का सामना करने के लिए इन्सान खुद अकेले खड़ा रह सकता है. वैसे भी कहावत है, दुनिया में आप अकेले है, अकेले ही जायेंगें. जब हम अकेले ही आयें हैं, और जाना भी अकेले है, तो क्यों इस दुनिया में किसी पर निर्भर रहें. मेरी इस बात का ये मतलब नहीं कि आप दुनिया में किसी से संबंध न रखें. हमें सबसे साथ मिलकर, प्यार से रहना चाहिए, लेकिन किसी पर भी बोझ न बने.
Explanation:
स्वावलम्बन को आज के समय पैसों से ही जोड़ा जाता है, जो पैसे के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहता है, उसे सबसे बड़ा स्वावलम्बी कहा जाता है. बचपन से ही हमें सिखाया जाता है कि बड़े होकर स्वावलम्बी बनो, ताकि तुम अपने साथ साथ दूसरों की भी ज़िम्मेदारियाँ उठाने के लायक बन सको. हमारे माँ बाप हमें अच्छी से अच्छी शिक्षा देते है, ताकि हम बड़े होकर अपने पैरों पर खड़े हो सकें, साथ ही पुरे परिवार की भी ज़िम्मेदारी उठा सकें.
भगवान ने हमारी रचना यही सोचकर की है कि हम स्वावलम्बी बने, हमें किसी पर निर्भर न रहना पड़े. हमें हाथ, पैर, मस्तिष्क, ह्रदय व शरीर के कई अंग दिए, जो अपना काम करते रहते है. हमें ऐसा बनाया कि हमें अपने कामों के लिए किसी पर निर्भर न रहना पड़े. हम पहले अपने शरीर के लिए आत्मनिर्भर बने, तत्पश्चात दूसरों पर शासन करें.
स्वावलम्बी कैसे बनें
स्वावलम्बी बनने की कोई ट्रिक नहीं है, अपने जीवन में कुछ ऐसे बदलाव करने होते है जिनकी मदद से दुनिया आपको स्वावलम्बी (आत्मनिर्भर) कहेगी. आत्मनिर्भर बनने के लिए अपने आत्मविश्वास को मजबूत करना होगा और अपने दम पर कुछ ऐसा करना होगा जिससे पुरे समाज और देश में आपका नाम हो. आत्मनिर्भर होने का मतलब यह नहीं की आप पैसे वाले हो, आत्मनिर्भर का मतलब यह है की आप अपने जीवन के फैसले खुद ले पाते है, आप अपने अनुसार अपना जीवनयापन करते है. स्वावलम्बी बनने के लिए आपको अपने उपर आश्रित होना होगा ना कि किसी और पर.