हमें आज भी नम्रता, परोपकार और सुकर्मों की शक्ति में गहरा विश्वास है। इस बात का धर्म में
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कोई वास्ता नहीं है। तुमने मध्य प्रदेश के उन खूखार डाकुओं के बारे में सुना होगा जो चार
के आतंक कहलाते थे। एक राष्ट्रीय नेता ने उन्हें समझाया कि अपराधी जीवन छोड़कर मल
आदमी के जीवन की शुरुआत करनी चाहिए। एक-एक कर बहुत से डाकुओं ने अपने हथियार फेंक दिए।
वे किसी ताकत के डर से नहीं झुके बल्कि अच्छाई के सामने झुके। यह घटना सन् 1972 में हुई, लेकिन
सुनने में प्राचीन काल की कोई कथा मालूम होती है, जैसी कि अंगुलीमाल की कथा है। बहुत से लोग
कहते हैं कि डाकुओं के हथियार-समर्पण जैसी घटना भारत के अलावा और कहीं नहीं हो सकती थी।
प्र०1, हमें आज भी कौन-सी शक्तियों में विश्वास है?
प्र02. 'चंबल के आतंक' से लेखक का क्या आशय है?
प्र०3. प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता के समझाने पर चंबल के डाकुओं ने क्या किया?
प्र०4. बहुत-से लोग क्या कहते हैं?
प्र०5. 'हथियार-समर्पण' का विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए।
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Socrates is considered by many the father of philosophy. He liked asking questions and question everything (which ultimately cost him his life by the way). ... When people attributed events to the Gods, Socrates disagreed and tried to persuade everyone that there should be a logical and reasonable.
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