हमें आयोडीन युक्त नमक खाने की सलाह क्यों दी जाती है यह हमारी कौन सी अंत स्रावी ग्रंथि से संबंधित है
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Explanation:
भारत ने १९९२ से पहले व्यापक आयोडिन युक्त नमक की नीति अपनाई थी। आहारीय आयोडीन मानव शरीर के अत्यावश्यक भौतिक तत्त्व है। ये अवटु ग्रंथि के सम्यक, कार्यविधि के लिए आवश्यक है जो शक्ति का निर्माण करती है, हानिप्रद कीटाणुओं को मारती है और इसके हार्मोन थांयरांक्सीजन की कमी पूरी करती है।
Answer:
आहारीय आयोडीन मानव शरीर के अत्यावश्यक भौतिक तत्त्व है। ये अवटु ग्रंथि के सम्यक, कार्यविधि के लिए आवश्यक है जो शक्ति का निर्माण करती है, हानिप्रद कीटाणुओं को मारती है और इसके हार्मोन थांयरांक्सीजन की कमी पूरी करती है।
आयोडीन शरीर व मस्तिष्क दोनों की सही वृद्धि, विकास व संचालन के लिए आवश्यक है। आयोडीन की कमी से घेंघा हो सकता है। घेंघा होने पर शरीर में चुस्ती-स्फूर्ति नहीं रहती। सुस्ती व थकावट महसूस होती है। सामान्य व्यक्ति के मुकाबले उसमें काम करने की ताकत भी कम हो जाती है। और तो और, आयोडीन की कमी से नवजात शिशु के शरीर व दिमाग की वृद्धि व विकास में हमेशा के लिए रूकावट आ सकती है। छोटे बच्चों, नौजवानों व गर्भवती महिलाओं के लिए आयोडीन बहुत जरूरी है। गर्भवती माँ में आयोडीन की कमी हो तो उसका बच्चा असामान्य हो सकता है। अगर तुरन्त बच्चे का इलाज नहीं कराया गया तो उम्र बढ़ने के साथ उसकी मानसिक व शारीरिक हालत और भी ख़राब होती जाती है।
आयोडीन एक प्राकृतिक तत्व है जो हमारे जीवन के लिए जरूरी है। हमारे शरीर की महत्वतूर्ण क्रियाएँ आयोडीन पर निर्भर हैं।
Explanation:
मानव शरीर में केवल १०-१२ मिलीग्राम आयोडिन होती है किन्तु इसके बिना जीवित रहना सम्भव नही है। आयोडिन कोलेस्ट्रॉल की रासायनिक संशलेषण में सहायता करती है और धमनियों में कोलेस्ट्रॉल चर्बी को भी बढ़ाती है। शरीर में आयोडिन की अधिकता होने से नाक में नमी अधिक हो जाती है। जल में ली गई क्लोरीन शरीर से आयोडिन अधिकता को निकालने का कारण होती है। अधिक मात्रा में आयोडीन वाले आहार है मूली, शतावर (एस्पेरेगस रेसिमोसस), गाजर, टमाटर, पालक, आलू, मटर, खुंभी, सलाद, प्याज, केला, स्ट्राबेरी, समुद्र से प्राप्त होने वाले आहार, अंडे की जर्दी, दूध, पनीर और कॉड-लिवर तेल।
हर रोज औसतन 150 माइक्रोग्राम यानि कि सुई की नोक के बराबर। इसका मतलब यह हुआ कि आपको जीवनभर के लिए एक छोटे से चम्मच से भी कम आयोडीन चाहिए। शरीर को हर रोज़ नियमित रूप से आयोडीन मिलनी ज़रूरी है । इसलिए यह ज़रूरी है की हर व्यक्ति के लिए आयोडीन नमक रोज़ की खुराक का हिस्सा हो।
आयोडीन की कमी से सिर्फ घेंघा हीं नहीं होता, बल्कि शरीर व दिमाग में और भी कई ख़राबियां पैदा हो सकती है, तो कुछ ख़तरनाक। आयोडीन की कमी का सबसे जाना-माना लक्षण है घेंघा। इसमें गलग्रन्थि (थायरायड ग्लैण्ड) बढ़ जाती है। इसमें मामूली सी सूजन से लेकर बड़ी गिल्टी तक बन जाती है।
क्रेटिनिज्म' का कोई इलाज नहीं है। आयोडीन की वजह होने वाली अन्य शिकायतों की तरह (कुछ तरह के गॉयटर को छोड़कर) इसका भी इलाज संभव नहीं हैं। हालांकि इसे आसानी से रोका ज़रूर जा सकता है। हर रोज़ इस आयोडीन युक्त नमक के इस्तेमाल से वर्तमान और आगे की पीढ़ियों को इस कमी के दुष्परिणामों से बचाया जा सकता है। 'क्रेटिनिज्म' गर्भ/भ्रूण या नवजात शिशु में आयोडीन की कमी का परिणाम है। 'क्रेटिन्स' में गम्भीर, अपरिवर्तनीय मानसिक मंदता पाई जाती है। साथ ही, उनमें गूंगा-बहरारन, बौना कद और हड्डियों का ढाँचे का अधूरा विकास जैसे अन्य लक्षण भी पाये जा सकते हैं। कुछ 'क्रेटिन्स' में घेंघा और अधिक बढ़ी हुई थायरायड ग्रन्थि भी पाई जाती है। जबकि अन्य 'क्रेटिन्स' में ऐसा नहीं होता।
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