हम ऐसे आज़ाद,हमारा झंडा है बादल! चाँदी, सोने, हीरे, मोती से सजती गुड़ियाँ, इनसे आतंकित करने की बीत गईं घड़ियाँ, इनसे सज-धज बैठा करते जो, हैं कठपुतले। हमने तोड़ अभी फेंकी हैं बेड़ी-हथकड़ियाँ परंपरा पुरखों की हमने जाग्रत की फिर से,
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Nice
very good poem
❤
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Raza maharaza apna kshatra kyu nirmit karvate the
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