Hindi, asked by aishwarya3616, 1 year ago

हम अनिकेतन हम अनिकेतन।
हम तो रमते राम, हमारा क्या घर, क्या दर, कैसा वेतन?
अब तक इतनी यों ही काटी, अब क्या सीखें नव परिपाटी
कौन बनाए आज घरौंदा हाथों चुन-चुन कंकड़-माटी
ठाठ फ़कीराना है अपना बाघंबर सोहे अपने तन।
देखे महल झोंपड़े देखे देखे हास विलास मजे के
संग्रह के सब विग्रह देखे ऊंचे नहीं कुछ अपने लेखे
लालच लगा कभी पर हिय में मच न सका शोणित उद्वेलन
हम जो भटके अब तक दूर-दूर अब क्या खाक बनाएँगे घर?
हमने देखा सदन बने हैं अपनों का अपनापन लेकर।
हम क्यों सनें ईंट-गारे में? हम क्यों बने व्यर्थ में बेमन?
ठहरे अगर किसी के दर पर, कुछ शरमाकर कुछ सकुचाकर
तो दरबान कह उठा, बाबा, आगे जा देखो कोई घर
हम रमता बनकर बिचरें पर हमें भिक्षु समझें जग के जन।
(क) इस कविता का शीर्षक बताइए।
(ख) कवि कैसे स्वभाव का है?
(ग) लालच लगने पर भी कवि के मन में प्राप्ति की इच्छा क्यों नहीं जागी?
(घ) दुनियावाले कवि को क्या समझते हैं?
(ङ) अनिकेतन शब्द का तात्पर्य बताइए।
(च) कवि अपना मकान क्यों नहीं बनाना चाहता?​

Answers

Answered by shishir303
6

(क) इस कविता का शीर्षक बताइए।

► कविता का शीर्षक है.. ‘हम अनिकेतन’। जिसके रचियता कवि ‘बालकृष्ण नवीन’ हैं।

(ख) कवि कैसे स्वभाव का है?

► कवि फकीराना स्वभाव का है, जिसके अंदर लालच की प्रवृत्ति नही है।

(ग) लालच लगने पर भी कवि के मन में प्राप्ति की इच्छा क्यों नहीं जागी?

► लालच लगने पर भी कवि के अंदर प्राप्ति की इच्छा इसलिये नही जागी क्योंकि लालच कवि के मन को उद्देलित यानि मजूबर नही पाता।

(घ) दुनियावाले कवि को क्या समझते हैं?

► दुनियावाले कवि को भिक्षु यानि भिखारी समझते हैं।

(ङ) अनिकेतन शब्द का तात्पर्य बताइए।

► अनिकेतन शब्द का अर्थ है, बिना-घरबार वाला व्यक्ति यानि जिसका कोई घर न हो।

(च) कवि अपना मकान क्यों नहीं बनाना चाहता?​

► कवि अपना मकान इसलिये बनाना नही चाहता क्योंकि कवि की रमते जोगी की तरह है, यानि कवि जगह-जगह घूमना चाहता है। वह ईंट, पत्थर, गारे के मकान बनाकर उसमें एक जगह टिककर नही रहना चाहता।

○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○

Answered by shailendrahaka971
1

Answer:

Explanation:

हास बिलास मे कौन सा समास है

Similar questions