हमें अपने चरित्र को किस के समान बनाना चाहिए ? सावन के बादलों की तरह या क्वार के बादलों की तरह और क्यों ?
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हमें अपने चरित्र को सावन केबादलों की तरह बनाना चाहिए
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रहीम ने क्वार के मास में गरजनेवाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से की है जो पहले कभी धनी थे और अपनी बीती बातें बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं। ऐसा कवि ने इसलिए किया क्योंकि क्वार मास के बादल बरसने वाले न होकर खोखले होते हैं ठीक वैसे ही जैसे धनी से निर्धन हो जाने वाले लोग धनहीन होते हैं। अपने इस दोहे में भी रहीम ने स्पष्ट रूप से यही कहा है कि क्वार के महीने में बादल केवल गहराते हैं, जबकि सावन के महीने में बादल जमकर बरसते हैं।
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कव्वाल के बादलों की तरह हमें अपना चरित्र बनाना चाहिए
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