Hindi, asked by sona5545, 8 months ago

हम अपनी राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा कैसे कर सकते हैं​

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देर से ही सही सरकार ने राष्ट्र्हित मे एक सही कदम उठाने की पहल की है और इस दिशा मे गंभीर प्रयास भी शुरू कर दिए हैं । वैसे तो प्रदर्शनों व आंदोलनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की बढती प्रवृत्ति को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने बहुत पहले ही एक कमेटी गठित कर दी थी । इस कमेटी को यह सुझाव देना था कि ' प्रिवेंशन आफ डेमेज टू पब्लिक प्रापर्टी कानून 1984 ' को किस तरह से और अधिक प्रभावी बनाया जा सके । लेकिन काफी समय तक इस दिशा मे कोई विशेष प्रगति नही हुई थी । अभी हाल मे कमेटी ने अपनी सिफारिशें सरकार को दे दी हैं ।इसमें सरकारी संपत्ति की रक्षा मे वर्तमान कानून को कमजोर बताते हुए इसे और अधिक कठोर बनाने के सुझाव भी दिए हैं । अब गृह मंत्रालय इस कानून को सख्त बनाने की दिशा मे सक्रिय हुआ है तथा इस संबध मे देशभर से राय व सुझाव भी मांगे हैं ।

Answered by Anonymous
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किसी घटना पर रोष जताने के लिए सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की परिपाटी चिंताजनक होती जा रही है. शनिवार रात को उत्तर प्रदेश में वाराणसी से दिल्ली आ रही वंदे भारत एक्सप्रेस पर नाराज भीड़ ने पत्थरबाजी कर चालक केबिन और छह डिब्बों के शीशों को क्षतिग्रस्त कर दिया. प्रदर्शनों और हड़ताल के दौरान सरकारी बसों, दफ्तरों और अन्य चीजों को आगजनी और तोड़-फोड़ का निशाना बनाना रोजमर्रा की बात हो गयी है.

बीते दिनों अरुणाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा में उप मुख्यमंत्री के घर को आग लगा दी गयी और मुख्यमंंत्री के आवास पर हमला करने की कोशिश की गयी. इसी माह केरल उच्च न्यायालय ने एक राजनीतिक संगठन को बंद के दौरान हुई क्षति की भरपाई करने का आदेश दिया है. ऐसी अनेक घटनाएं हैं. साल 2007 में सर्वोच्च न्यायालय ने सार्वजनिक संपत्ति को बचाने के 1984 के कानून में जरूरी बदलाव करने के इरादे से एक समिति का गठन किया था. इसकी सिफारिशों को 2015 के संशोधन विधेयक में गृह मंत्रालय ने जोड़ा भी था.

फरवरी, 2016 और नवंबर, 2017 में संबंधित मामलों पर सुनवाई करते हुए दोषियों को सजा के साथ क्षतिपूर्ति के लिए आर्थिक दंड पर भी जोर दिया था. पंजाब एवं पिछले साल अक्तूबर में देश की सबसे बड़ी अदालत ने उग्र और हिंसक प्रदर्शनों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर नुकसान के आकलन और भरपाई सुनिश्चित करने के लिए हर जिले में एक विशेष न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति की बात कही थी. ऐसा उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय पर से इस तरह के मामलों के निपटारे के दबाव को कम करना था.

दो साल पहले पंचकूला में डेरा सच्चा सौदा के मुखिया राम रहीम के समर्थकों के उत्पात का स्वतः संज्ञान लेते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने डेरा की संपत्ति को जब्त कर उससे नुकसान भरने का आदेश दिया था. वर्ष 2012 में आजाद मैदान में हुई तोड़-फोड़ पर फैसला देते हुए पिछले साल मार्च में बंबई उच्च न्यायालय ने फिर दोहराया था कि हंगामा करनेवाले और आंदोलन के आयोजकों से नष्ट हुई सार्वजनिक संपत्ति का हर्जाना वसूला जाना चाहिए.

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