हमे apni जीवन की रिक्तता कब छोटी लगने लगती है ? icse पाध- aprajita
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कभी-कभी अचानक की विधाता हमें ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व से मिला देता है, जिसे देख स्वयं अपने जीवन की रिक्तता बहुत छोटी लगने लगती है। हमें तब लगता है कि भले ही उस अन्यर्यामी ने हमें जीवन में कभी-कभी अकस्मात् अकारण ही दंडित कर दिया हो, हमारे किसी अंग को हमसे विच्छिन्न कर हमें उससे वंचित तो नहीं किया।
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