Hindi, asked by ATTITUDEDxBoy, 6 months ago

हम भिखमंगों की दुनिया में। स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले, इस पक़्ती का भाव स्पष्ट कीजिए​

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Answered by naveenmahto0
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Explanation:

यहाँ भिखमंगों की दुनिया से कवि का आशय है कि यह दुनिया केवल लेना जानती है देना नहीं। कवि ने भी इस दुनिया को प्यार दिया पर इसके बदले में उसे वह प्यार नहीं मिला जिसकी वह आशा करता है। कवि के लिए यह उसकी असफलता है। इसलिए वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है। अत: कवि निराश है, वह समझता है कि प्यार और खुशियाँ लोगों के जीवन में भरने में असफल रहा।

Answered by bhatiamona
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हम भिखमंगों की दुनिया में प्यार लुटाते चले, इन पंक्तियों से कवि का आशय यह है कि इस दुनिया में प्यार के बदले प्यार देने वालों की कमी है। कवि को प्यार के बदले प्यार नही मिला।

व्याख्या :

इस दुनिया में भले ही कितना किसी को प्यार दो, लेकिन बदले में उससे इतना मान-सम्मान प्रेम नहीं मिलता। इसीलिए यह दुनिया भी प्यार और मान-सम्मान की दृष्टि से भिखारियों के समान है।

कवि ने इस दुनिया को सब प्रेम बांटा। सब जगह प्यार दिया लेकिन उसे कहीं से बदले में उतना प्यार नहीं मिला। कवि इसे अपनी असफलता मानता हैस इसीलिए वह अपने दिल पर असफलता का बोझ लेकर जा रहा है। कवि निराश है कि इतना प्यार और खुशियां लुटाने के बाद भी वह बदले में कुछ नहीं पा सका और खाली हाथ जा रहा है।

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