Hindi, asked by samiksha8010, 3 months ago

हम होंगे कामीयाब' वस विषय पर निबंध लिखिए ।
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Answered by iamchandresh5691
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साधारण सी दिखने वाली यह पंक्ति हमारे मन में आशा और विश्वास की नई ज्योति जलाती है और असफलताओं से हताश, निराश व्यक्तियों को पुनः धैर्य और साहस के साथ कर्म में प्रवृत्त होने की प्रेरणा देती है। जीवन में हार-जीत, सफलता-असफलता, हानि-लाभ, सुख-दुख तो दिन-रात की तरह आते-जाते रहते हैं। कई बार परश्रिम और उद्यम के बावजूद हम अपने लक्ष्य को पाने में असफल होते हैं। ऐसे में निराशा का कुहासा हमें घेर लेता है और हम जीवन को बोझ समझने लगते हैं। कायरों की तरह हाथ-पर-हाथ धरकर बैठ जाते हैं। हम भूल जाते हैं कि कार्य करते रहना ही हमारा धर्म है। आशा का दामन नहीं छोड़ना चाहिए। आशा की डोर पर ही जीवन की पतंग उड़ती है। आशा ही वह ऊर्जा है जो शरीर में नए प्राणों का संचार करती है। धैर्य व आत्मविश्वास के साथ हमें अपने कर्तव्य के मार्ग पर चलते जाना चाहिए। हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। एक दिन कामयाब होने के विश्वास ने ही तो मानव को उपलब्धियों के शिखर पर पहुँचाया है। इतिहास साक्षी है कि महान योदधा. आविष्कारक, समाजसुधारक आदि असफलताओं से निराश होकर बैठ जाते तो शायद यह सब न कर पात जो उन्होंने मानव जाति के लिए किया। अतः निराशा को त्याग उत्साह, विश्वास और लगन से आगे बढ़ो। कामयाबी अवश्य मिलेगी। इसीलिए तो राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने भी कहा है नर हो, न निराश करो मन को।

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