हम हैं नवयुग के अग्रदूत
हम काल-जलधि-नाविक अभूत
हम साम्य-दीप के नव प्रकाश
हम विजयोन्मादी क्रान्ति पूत
हे प्रदीप्त गतिमान।
जागो और जगाओ।
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Answer:
रांगेय राघव जी द्वारा रचित इस कविता की इन पंक्तियों में जनशक्ति को जगाने का प्रयास किया गया है |
व्याख्या : कवि ने इन पंक्तियों में श्रमिक तथा खेतिहर मजदूर अर्थात सर्वहारा वर्ग को उनकी क्षमता का ज्ञान कराते हुए कहा है कि हम इस नवयुग के अग्रदूत है जो समय रूपी सागर में ऐसे नाविक की भांति स्थित है जो अभूतपूर्व है।
स्वयं को भी उसी में सम्मिलित कर के वे कहते हैं कि हम समानता रूपी दीपक के समान है जो नवीन प्रकाश से युक्त है जिसमें विजयी होने का उन्माद है तथा जो क्रांति पूत हैं अर्थात् क्रांति से उत्पन्न हुआ हो | (तदर्थ जनशक्ति ऐसे ज्वलंतअस्तित्व की द्योतक है जो समानता की नवीन विचारधारा से युक्त होकर विजय अभियान की क्रांति का बिगुल बजा सकती हैं |) कवि ऐसी ही चेतनाओं को संबोधित करते हुए कह रहे हैं कि हे प्रज्ज्वलित दीपक (जनशक्ति )अपनी आभा से गतिमान होकर स्वयं भी जागो और अन्य जनसमुदाय कोे भी जगाओ ।