हम हरि हारिल की लकरी, मन क्रम वचन नंदनंदन उर यह दृढ़ कर पकरी ।सुनत जोग लागत है ऐसो ज्यों करुई ककरी ।सु
तो व्याधि ऐसी ले आए देखी सुनी ना करी ।ये तो सूर तिनहिं ले सौंपो जिनके मन चकरी।
क-हारिल की लकरी किसे कहा गया है और क्यों?
ख-गोपियों की श्री कृष्ण के प्रति प्रेम भावना को व्यक्त कीजिए।
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Explanation:
हमारे हरि हारिल की लकरी ।
मन - क्रम - वचन नंद - नंदन उर , यह दृढ़ करि पकरी ।
जागत सोवत स्वप्न दिवस - निसि , कान्ह - कान्ह जकरी ।
सुनत जोग लागत है ऐसो , ज्यौं करूई ककरी ।
सु तौ ब्याधि हमकौं लै आए , देखी सुनी न करी ।
यह तौ 'सूर' तिनहिं लै सौंपौ , जिनके मन चकरी ।।
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