हमें किस पाप का फल आज का भोगना पड़ रहा है? (धर्म की आड़ )
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अपने उसी पाप का फल आज हमें भोगना पड़ रहा है। क्योंकि आज धर्म और ईमान का ही बोल-बाला है। लेखक कहता है कि महात्मा गांधी धर्म को सर्वत्र स्थान देते हैं। ... ईश्वर इन नास्तिकों जिनका कोई धर्म नहीं होता ऐसे लोगों को अधिक प्यार करेगा, और वह अपने पवित्र नाम पर अपवित्र काम करने वालों से यही कहना पसंद करेगा।
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