हमे किसी से भेद भाव नहीं करना चाहिए इसके बारे मे बताओ
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यह कथन सत्य है । इस दुनिया में सभी लोग बराबर है। हमे किसी के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। सभी को बराबर का दर्जा मिलना चाहिए।
“समानता, इंसान का अधिकार हो सकता है, मगर इस धरती पर कोई भी सरकार सबको यह अधिकार दिलाने में कामयाब नहीं हो सकती।”
सभी इंसान जन्म से आज़ाद हैं और समान अधिकार और आदर पाने के हकदार हैं। उन्हें सोचने-समझने की शक्ति और ज़मीर के साथ बनाया गया है। इसलिए उन्हें एक-दूसरे के लिए भाईचारा दिखाना चाहिए।
नफरत और भेदभाव की जड़ तक पहुँचना
“सभी इंसान जन्म से आज़ाद हैं और समान अधिकार और आदर पाने के हकदार हैं। उन्हें सोचने-समझने की शक्ति और ज़मीर के साथ बनाया गया है। इसलिए उन्हें एक-दूसरे के लिए भाईचारा दिखाना चाहिए।”—मानव अधिकारों के विश्वव्यापी घोषणा-पत्र की धारा 1.
इस नेक आदर्श के बावजूद नफरत और भेदभाव का सिलसिला चलता आया है और इंसानों पर कहर ढा रहा है। यह सच्चाई दिखाती है कि हम न सिर्फ मुश्किल दौर में जी रहे हैं बल्कि यह भी कि हम पापी और असिद्ध हैं। (भजन 51:5) मगर इसका यह मतलब नहीं कि हमारे लिए कोई उम्मीद नहीं। हालाँकि यह सच है कि हम अपने चारों तरफ फैली नफरत और भेदभाव को तो नहीं मिटा सकते, लेकिन हम अपने अंदर से इसे निकाल ज़रूर सकते हैं।
सबसे पहले हमें यह कबूल करना होगा कि हम सब में ऊँच-नीच की भावना आ सकती है। किताब, नफरत और भेदभाव को समझना (अँग्रेज़ी) कहती है: “भेदभाव पर खोजबीन करने से हम शायद इन अहम नतीजों पर पहुँचें: (1) बोलने और सोचने की शक्ति रखनेवाला कोई भी इंसान भेदभाव की भावना से अछूता नहीं, (2) भेदभाव दूर करने के लिए अकसर कड़ी मेहनत और जागरूकता की ज़रूरत होती है और (3) सही प्रेरणा मिलने पर हम इसमें कामयाब हो सकते हैं।”
कहा जाता है कि नफरत और भेदभाव से लड़ने का “सबसे शक्तिशाली हथियार” है, शिक्षा। सही किस्म की शिक्षा हमें भेदभाव की जड़ तक पहुँचने, अपने रवैयों का सही-सही मुआयना करने और भेदभाव के शिकार होने पर उसका समझदारी से सामना करने में मदद देगी।
भेदभाव की जड़ तक जाना
भेदभाव में अकसर ऐसा होता है कि लोग किसी के बारे में पहले से कोई राय कायम कर लेते हैं। और अगर सच्चाई उनकी राय से मेल न खाए, तो वे सच्चाई को तोड़-मरोड़ देते, उसका गलत अर्थ निकालते या फिर उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं। मगर भेदभाव की शुरूआत कैसे होती है? अनजाने में ही सही, जब परिवार में बच्चों को ऐसे आदर्श सिखाए जाते हैं जो गलत सोच पर आधारित हों, तो उनमें भेदभाव का बीज बोया जाता है। दूसरी तरफ, कुछ लोग जानबूझकर दूसरी जाति या संस्कृति के खिलाफ नफरत की आग भड़काते हैं। राष्ट्रवाद की भावना और धर्म की झूठी शिक्षाओं से भी भेदभाव को बढ़ावा मिलता है। अहंकार की वजह से भी लोगों में ऊँच-नीच की भावना आती है। जब आप आगे दिए मुद्दों और उनसे जुड़े बाइबल सिद्धांतों पर गौर करेंगे, तो अपने रवैयों की जाँच कीजिए और देखिए कि कहीं आपको सुधार करने की तो ज़रूरत नहीं।
धन्यवाद
आशा है आपको इस से सहायता होगी।
☺☺
“समानता, इंसान का अधिकार हो सकता है, मगर इस धरती पर कोई भी सरकार सबको यह अधिकार दिलाने में कामयाब नहीं हो सकती।”
सभी इंसान जन्म से आज़ाद हैं और समान अधिकार और आदर पाने के हकदार हैं। उन्हें सोचने-समझने की शक्ति और ज़मीर के साथ बनाया गया है। इसलिए उन्हें एक-दूसरे के लिए भाईचारा दिखाना चाहिए।
नफरत और भेदभाव की जड़ तक पहुँचना
“सभी इंसान जन्म से आज़ाद हैं और समान अधिकार और आदर पाने के हकदार हैं। उन्हें सोचने-समझने की शक्ति और ज़मीर के साथ बनाया गया है। इसलिए उन्हें एक-दूसरे के लिए भाईचारा दिखाना चाहिए।”—मानव अधिकारों के विश्वव्यापी घोषणा-पत्र की धारा 1.
इस नेक आदर्श के बावजूद नफरत और भेदभाव का सिलसिला चलता आया है और इंसानों पर कहर ढा रहा है। यह सच्चाई दिखाती है कि हम न सिर्फ मुश्किल दौर में जी रहे हैं बल्कि यह भी कि हम पापी और असिद्ध हैं। (भजन 51:5) मगर इसका यह मतलब नहीं कि हमारे लिए कोई उम्मीद नहीं। हालाँकि यह सच है कि हम अपने चारों तरफ फैली नफरत और भेदभाव को तो नहीं मिटा सकते, लेकिन हम अपने अंदर से इसे निकाल ज़रूर सकते हैं।
सबसे पहले हमें यह कबूल करना होगा कि हम सब में ऊँच-नीच की भावना आ सकती है। किताब, नफरत और भेदभाव को समझना (अँग्रेज़ी) कहती है: “भेदभाव पर खोजबीन करने से हम शायद इन अहम नतीजों पर पहुँचें: (1) बोलने और सोचने की शक्ति रखनेवाला कोई भी इंसान भेदभाव की भावना से अछूता नहीं, (2) भेदभाव दूर करने के लिए अकसर कड़ी मेहनत और जागरूकता की ज़रूरत होती है और (3) सही प्रेरणा मिलने पर हम इसमें कामयाब हो सकते हैं।”
कहा जाता है कि नफरत और भेदभाव से लड़ने का “सबसे शक्तिशाली हथियार” है, शिक्षा। सही किस्म की शिक्षा हमें भेदभाव की जड़ तक पहुँचने, अपने रवैयों का सही-सही मुआयना करने और भेदभाव के शिकार होने पर उसका समझदारी से सामना करने में मदद देगी।
भेदभाव की जड़ तक जाना
भेदभाव में अकसर ऐसा होता है कि लोग किसी के बारे में पहले से कोई राय कायम कर लेते हैं। और अगर सच्चाई उनकी राय से मेल न खाए, तो वे सच्चाई को तोड़-मरोड़ देते, उसका गलत अर्थ निकालते या फिर उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं। मगर भेदभाव की शुरूआत कैसे होती है? अनजाने में ही सही, जब परिवार में बच्चों को ऐसे आदर्श सिखाए जाते हैं जो गलत सोच पर आधारित हों, तो उनमें भेदभाव का बीज बोया जाता है। दूसरी तरफ, कुछ लोग जानबूझकर दूसरी जाति या संस्कृति के खिलाफ नफरत की आग भड़काते हैं। राष्ट्रवाद की भावना और धर्म की झूठी शिक्षाओं से भी भेदभाव को बढ़ावा मिलता है। अहंकार की वजह से भी लोगों में ऊँच-नीच की भावना आती है। जब आप आगे दिए मुद्दों और उनसे जुड़े बाइबल सिद्धांतों पर गौर करेंगे, तो अपने रवैयों की जाँच कीजिए और देखिए कि कहीं आपको सुधार करने की तो ज़रूरत नहीं।
धन्यवाद
आशा है आपको इस से सहायता होगी।
☺☺
erFarida1:
please write my maths question please please please
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Answer:
you're right ok you are right on song
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