हमें कैसे व्यक्तियों से मित्रता करनी चाहिए?
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Answer: आचार्य चाणक्य के अनुसार मित्रता बहुत सोच समझ कर करनी चाहिए. गले मिलकर अभिभादन करने वाला हर व्यक्ति मित्र नहीं होता है. जो मित्र मुंह के सामने तो तारीफ करे और पीठ पीछे बुराई करे ऐसा मित्र सच्चा नहीं होता है. आचार्य चाणक्य की दृष्टि में ऐसा मित्र सर्प के समान होता है.
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आचार्य चाणक्य के नाम से तो सभी लोग परचित हैं. चाणक्य की नीतियां व्यक्ति के जीवन में बहुत काम आती हैं. मित्र कैसे होने चाहिए इस पर चाणक्य ने बड़ी ही गंभीरता से प्रकाश डाला है.
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