हम क्ट्यण थे , क्ट्यण हो गए , और क्ट्यण होंगे अभी ,
आओ ववचणरें आि लमलकर ये समस्यणएँ सभी।
यधवप हमे इनतहणस अपनण प्रण्त पूरण हैंनहीं ।
हम कौन थे , इस ज्ञणन को , कर्र भी अधूरण ही कहें ।
हम दसू रों के दःुख को थे दःुख अपनण मणनते ;
हम मणनते कै से नहीं , सब थे सदण यह िणनते
'िो ईश कतणा हैहमणरण दसु रों कण हैवहीं ,
हैंकमा लभवन परंतुसब में तत्व - समतण ही रही ।'
बबकते गुलणम न थेयहणँ , हममें न ऐसी रीनत थी ,
सेवक - िनों पर भी हमणरी ननत्य रहती प्रीनत थी ।
वह नीनत ऐसी थी कक चणहे हम कभी भूखे रहे ।
पर बणत क्ट्यण िीते हमणरे िी कभी वे दःुख सहें ।
आए नहीं थे स्वपन में भी िो ककसी के ध्यणन में ,
वे प्रश्न पहले हल हुए थे एक दहवदस्ुतणन में।
लसद्धणंत मणनव - िणनत के िो ववश्व में ववतररत हुए ,
बस , भणरतीय तपोवन में थे प्रथम ननजश्चत हुए ।
plz explain this ........
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भारत देश कला का संस्कृति का साहित्य का देश है हर विधा की कई महान हस्तियों ने यहाँ जन्म लिया है,जिन्होंने अपनी कला से लोगों में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। अपनी रचनाओं से लोगों को कुछ अलग तरह से सोचने पर मजबूर किया है। आज हम बात करेंगे साहित्य की और साहित्य में भी हिंदी और उर्दू जगत के महान कवियों की और उनकी कविताओं की।दरअसल कविता जो है वो साहित्य की सबसे महान शैलियों में से एक है।भारतीय साहित्य की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसकी विविधता है। जो देश की विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के कारण होती है। भारत में जन्में महानतम और लोकप्रिय भारतीय साहित्यकारों ने अपनी कलम और अपनी सोच से हमें जीने का सही तरीका बताया है। इनकी रचनाएँ पढ़कर हम में एक नई सोच और क्षमता जाग्रत होती है। इसीलिए अब हम आपके लिए लाये हैं ऐसे ही महान कवियों की कवितायेँ ।और इसी कड़ी में सबसे पहला नाम है आधुनिक हिंदी कविता के दिग्गज और खड़ी बोली को खास तरहीज देने वाले मैथिलीशरण गुप्त का। वो एक ऐसे कवि थे, जिनकी कविताओं से हर निराश मन को प्ररेणा मिल जाती थी. कविता की दुनिया के सरताज मैथलीशरण गुप्त को राष्ट्रकवि के नाम से भी जाना जाता है. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने ही उन्हें “राष्टकवि” की संज्ञा प्रदान की. क्योंकि उनकी कविताओं में देश प्रेम, समाज सुधार, धर्म, राजनीति, भक्ति आदि सभी विषयों को केंद्रित किया गया है |
आइये राष्ट्र के गौरव को समर्पित उनकी एक कविता (Ham Kaun The Kya Ho Gaye Poetry In Hindi) पर दृष्टि डालते हैं –
हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी
आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी
भू लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहां
फैला मनोहर गिरि हिमालय, और गंगाजल कहां
संपूर्ण देशों से अधिक, किस देश का उत्कर्ष है
उसका कि जो ऋषि भूमि है, वह कौन, भारतवर्ष है
यह पुण्य भूमि प्रसिद्घ है, इसके निवासी आर्य हैं
विद्या कला कौशल्य सबके, जो प्रथम आचार्य हैं
संतान उनकी आज यद्यपि, हम अधोगति में पड़े
पर चिन्ह उनकी उच्चता के, आज भी कुछ हैं खड़े
वे आर्य ही थे जो कभी, अपने लिये जीते न थे
वे स्वार्थ रत हो मोह की, मदिरा कभी पीते न थे
वे मंदिनी तल में, सुकृति के बीज बोते थे सदा
परदुःख देख दयालुता से, द्रवित होते थे सदा
संसार के उपकार हित, जब जन्म लेते थे सभी
निश्चेष्ट हो कर किस तरह से, बैठ सकते थे कभी
फैला यहीं से ज्ञान का, आलोक सब संसार में
जागी यहीं थी, जग रही जो ज्योति अब संसार में
वे मोह बंधन मुक्त थे, स्वच्छंद थे स्वाधीन थे
सम्पूर्ण सुख संयुक्त थे, वे शांति शिखरासीन थे
मन से, वचन से, कर्म से, वे प्रभु भजन में लीन थे
विख्यात ब्रह्मानंद नद के, वे मनोहर मीन थे
Answer:
I am fine
and happy new year