हम खोए हुए समय की तलाश करते हैं। चाहते हैंकक गुज़रा हुआ वक्त किर जी ललया
जाए। अगर बुरा भी था तो उसे दसू री तरह से जी सकने का अवसर लमल सके। पर
ज़ज़िंदगी है कक बदलती जाती है, बढ़ती रहती है। उसमें नए अध्याय, नए प्रसिंग जुडते हैं।
जो समय हम जी चकुे होते हैं- वह कभी लौटता नहीिं, ककसी भी रूप में नहीिं। हम स्वयिं
वह नहीिं होते, जो ववगत में रहे थे। समय हम पर से बीत चुका होता है। पर इस बीते हुए
समय के ननशान हमारे मन, चेतना और अज़स्तत्व पर पड़ते हैं। इन ननशानों को पहचानना
ही जीवन को पहचानना होता है। गुज़रे समय में एक अथथ हमेशा होता है जो हमारे
वतथमान के काम आ सके । हमारा वतथमान हमारे अतीत का ही योग होता है, इसललए खोए
हुए समय की तलाश से महान कृनतयााँजन्म लेती हैं। सिंसार की सारी कववता, साहहत्य,
कला, दशथन इस बीत चुके जीवन का पुनः सजृ न है। उसका आकलन करना चाहते हैं। ये
आकलन लसिथ व्यज़क्त ही नहीिं करते, जानतयााँ, समूह, और राष्ट्र भी करते हैं। इनतहास में
ऐसे दौर आते हैं जब उन्हें अपने अतीत का आकलन करना पड़ना है, ज़रूरी ननष्ट्कर्थ
ननकालने पड़ते हैं। इसी आकलन से पनु जाथगरण जन्म लेता हैऔर इसी लेखे-जोखे से
सहदयों से सोए समाज जाग उठते हैं।
१. हम उम्र भर तलाश करते हैं-
(क) आने वाले सुख की (ख) खोये हुए समय की
(ग) बबछड़े हुए लोगों की (घ) आने वाले समय की
२. जीवन को पहचाना जा सकता है-
(क) बीते हुए समय के ननशानों से (ख) आने वाले समय के ननशानों से
(ग) बीते हुए समय को याद करके (घ) बीते हुए समय को याद करके
३. सिंसार की सारी कववता, साहहत्य, कला और दशथन पुनः सजृ न है-
(क) बीत चकुे जीवन का (ख) आने वाले जीवन का
(ग) महत्वपूणथ घटनाओिं का (घ) जनतयों के उत्थान-पतन का
४. पुनजाथगरण का कारण बताया गया है-
(क) वतथमान का आकलन (ख) अतीत का आकलन
(ग) इनतहास का आकलन (घ) देश का आकलन
५. बीते हुए समय का आकलन करते करते हैं-
(क) व्यज़क्त समूह और राष्ट्र (ख) व्यज़क्त और सिंबिंधी
(ग) सारा सिंसार (घ) वतथमान काल के इनतहासकार
६.‘मौका’ शब्द का पयाथयवाची शब्द गदयािंश में से ढूाँढकर ललखखए।
७. गदयािंश में प्रयुक्त एक युग्म शब्द छााँटकर ललखखए
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1- khoye hue samay ki
2-beete hue samay ke nansaano se
3-beet chuke Jeevan ka
4 atit ka aakalan
5-vyajakt samuh aur rashtra
6-avsar
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