हम और हमारा भोजन अनुछेद
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Answer: हम भोजन को केवल उदरपूर्ति का साधन मानकर ही ग्रहण करते हैं तो वो भोजन हमें आत्मिक शांति व आनंद नहीं प्रदान करता है।
भोजन के हर कण-कण में ऊर्जा व आनंद छुपा है। अन्न के हर एक निवाले को यदि हम शांतिपूर्वक प्रेम से ग्रहण करेंगे तो वह हमें असीम सुख देने के साथ-साथ बेहतर स्वास्थ्य भी प्रदान करेगा। भोजन का हमारे आचार-विचार से गहरा नाता है। हम जैसा अन्न खाते हैं, वैसा ही हमारा आचरण होता है। इसका आकलन हमारी भोजन के प्रति रुचि से लगाया जा सकता है। सात्विक व पौष्टिक भोजन हमारे तन व मन दोनों के लिए बेहतर होता है।
प्रकृति ने हमें पेड़-पौधों के रूप में कई सारे वरदान दिए हैं। कई सब्जियाँ तो शारीरिक व्याधियों में रामबाण औषधि की तरह कार्य करती हैं। कुछ किस्म के 'डायटरी फाइबर' तो केवल पौधों से प्राप्त वस्तुओं में ही पाए जाते हैं। हमारे शरीर के विकास के लिए प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज आदि की निश्चित मात्रा होनी चाहिए। भोजन में इन सभी पोषक तत्वों से परिपूर्ण संतुलित आहार का सेवन हमें स्वस्थ, बलशाली व बुद्धिमान बनाता है।
भोजन हमारे शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। जब हमारे शरीर में भोजन के माध्यम से पोषक तत्व प्रवेश करेंगे, तभी हमारा शरीर बीमारियों का मुकाबला कर पाएगा।