Hindi, asked by sunny514jc, 3 days ago

'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' (class 7 Vasant) कविता के आधार पर स्वतंत्रा पर प्रकाश डालते हुए 80-90 में अनुच्छेद लिखे |
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Answered by devyanshikedia
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कविता की इन पंक्तियों में पंछियों की स्वतंत्र होने की चाह को दर्शाया है। इन पंक्तियों में पक्षी मनुष्यों से कहते हैं कि हम खुले आकाश में उड़ने वाले प्राणी हैं, हम पिंजरे में बंद होकर खुशी के गीत नहीं गा पाएँगे। आप भले ही हमें सोने से बने पिंजरे में रखो, मगर उसकी सलाख़ों से टकरा कर हमारे कोमल पंख टूट जाएँगे।

यह एक कविता है जिसके माध्यम से यह बताया जा रहा है कि पंछी उन्मुक्त होकर नीले आसमान में उड़ान भरना चाहते हैं

उन्हें पिंजरे में रहना नहीं चाहते हैं चाहे पिंजरा सोने का हो या किसी और पदार्थ का उन्हें आसमान से ज्यादा कोई प्यारा नहीं है उनका कहना है कि अगर वो पिंजरे में कैद रहते हैं तो उनके पंख तीलीयों से टकराकर टूट जाएंगे जिस तरह हमें अपनी आजादी पसंद है ठीक उसी तरह सभी को अपनी आजादी पसंद है

वो नदी के बहते हुए पानी को पीने fवाले हैं वो उस पिंजरे में कैद रहकर भूखे प्यासे मर जाएंगे कुछ पंछी सोने के पिंजरे में कैद होकर अपनी गति और उड़ान सब भूल गए हैं सिर्फ अपने सपनों में देख रहें हैं पेड़ कि डालियों पर वह झूल रहे हैं उनके अरमान थे कि नीले गगन कि सीमा को छूते और अपनी चोंच से छोटे छोटे अनार के दाने चुनते इन पंछियों की दौड़ होती इस सीमाहीन क्षितिज से या तो यह मिलन बन जाता या इनकी मृत्यु हो जाती

अंत में यह बताया गया है कि चाहे इन्हें पानी न दे या टहनी पर से इनके घोंसले को तोर डालें लेकिन जब इन पंछियों को पंख दिए हैं तो इनको उड़ने से रोके न ।

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