'हम पंछी उन्मुक्त गगन के ' कविता का भाव क्या है?
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हम पंछी उस मुख्त गगन के
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इसका भाव हैं: कि हम पंछी असमान के है नाकी पीजरे में रहने वाले|
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It's ok time of selfie with me
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