हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का मूल भाव यह है कि पक्षी पिंजरे में बंद नहीं रह सकते उन्हें खुले आसमान में उड़ना है वह भी खुले आसमान में उड़ना को छूना चाहते हैं यही उनकी ख्वाहिश है
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उत्तर- पक्षी उन्मुक्त रहकर बहते हए जल को पीना, कड़वे निबौरी के फल को खाना, पेड़ के सबसे ऊँची टहनी पर झूलना, खुले आसमान में उड़ना, क्षितिज के अंत तक उड़ने की इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं। पास पंख है, वे आसमान में उड़ना चाहते हैं। वे प्रकृति के छाँव में खुलकर रहना चाहते हैं ना कि हमारे बंद पिंजरों में।
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