Hindi, asked by ananyamohila, 7 months ago

हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का मूल संदेश अपने शब्दो मे लिखिए​

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Answered by dineshvsinghjnkvv
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हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का मूल भाव /सारांश

वह स्वतंत्र रूप में विचरण नहीं कर सकता है। कविता के प्रारंभ में ही पंछी आकाश में स्वतंत्र रूप से विचरण करने की कामना करते हैं। उनके पुलकित पंख सोने के पिंजरों की तीलियों से टकराकर टूट जायेंगे। पंछी उन्मुक्त विचरण करने वाले होते हैं।

Answered by pragati2585
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Answer:

इस कविता में कवि यह सबक देना चाहते हैं कि जिन पक्षी कोे स्वतंत्र रूप से आकाश में उड़ाना हैं, उसे पिंजरे में न रखें। वह यह भी बताना चाहता है कि यदि हम पक्षी को पिंजरे में रखते हैं तो वे उड़ना भूल जाते हैं।

धन्यवाद।

आशा है कि यह उत्तर आपकी सहायता करता है।

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