Hindi, asked by Swatikamal1234, 5 months ago

हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का सार​

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Answered by Anonymous
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  • हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का मूल भाव /सारांश
  • सोने के पिंजरे और सोने की कटोरी में मैदा खाने से जीवन का अभिप्राय सफल नहीं होता है। उनके पुलकित पंख सोने के पिंजरों की तीलियों से टकराकर टूट जायेंगे। पंछी उन्मुक्त विचरण करने वाले होते हैं। वह नदियों ,झरने का पानी पीने वाले हैं।
Answered by XxBrainlyMasterxX
6

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