'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' कविता की विशेषताएं |
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हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का मूल भाव /सारांश
वह स्वतंत्र रूप में विचरण नहीं कर सकता है। कविता के प्रारंभ में ही पंछी आकाश में स्वतंत्र रूप से विचरण करने की कामना करते हैं। उनके पुलकित पंख सोने के पिंजरों की तीलियों से टकराकर टूट जायेंगे। पंछी उन्मुक्त विचरण करने वाले होते हैं
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