हम पंछी उन्मुक्त गगन के, पिजरबद्ध न गा पाएंगे, कनक - तीलियों से टकराकर, पुलकित पंख टूट जाएंगे, भाव - स्पष्ट करो in hind
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इन पंक्तियों का अर्थ निम्नलिखित है
शिवमंगल सिंह सुमन ने हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता की इन पंक्तियों में पंछियों की स्वतंत्र होने की चाह को दर्शाया है। इन पंक्तियों में पक्षी मनुष्यों से कहते हैं कि हम खुले आकाश में उड़ने वाले प्राणी हैं, हम पिंजरे में बंद होकर खुशी के गीत नहीं गया पाएंगे। आप भले ही हमें सोने से बने पिंजरे में रखो, मगर उसकी सलाख़ों से टकरा कर हमारे कोमल पंख टूट जाएंगे
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