Math, asked by s1253tharun2999, 2 months ago

हम पंक्षी उन्मुक्त गगन के कविता को लिखें और याद करें ।​

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Answered by kailashchandra65
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Answer:

हम पंछी उन्मुक्त गगन के

पिंजरबद्ध न गा पाएंगे

कनक-तीलियों से टकराकर

पुलकित पंख टूट जाएंगे ।

हम बहता जल पीनेवाले

मर जाएंगे भूखे-प्यासे

कहीं भली है कटुक निबोरी

कनक-कटोरी की मैदा से ।

स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में

अपनी गति, उड़ान सब भूले

बस सपनों में देख रहे हैं

तरू की फुनगी पर के झूले ।

ऐसे थे अरमान कि उड़ते

नील गगन की सीमा पाने

लाल किरण-सी चोंच खोल

चुगते तारक-अनार के दाने ।

होती सीमाहीन क्षितिज से

इन पंखों की होड़ा-होड़ी

या तो क्षितिज मिलन बन जाता

या तनती साँसों की डोरी ।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का

आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो

लेकिन पंख दिए हैं तो

आकुल उड़ान में विघ्न न डालो ।

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