Math, asked by s1253tharun2999, 1 month ago

हम पंक्षी उन्मुक्त गगन के कविता को लिखें और याद करें ।​

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Answered by Anonymous
3

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हम पंछी उन्मुक्त गगन के का भावार्थ

हम पंछी उन्मुक्त गगन के भावार्थ - पिंजरे में बंद पंछियों का कहना है कि हम खुले आकाश में विचरण करने वाले पक्षी हैं। हम पिंजरे में बंद होकर नहीं रह सकते सोने के पिंजरे की सलाखों से टकरा-टकराकर हमारे कोमल पंख टूट जाएंगे।

Answered by nkbarauni
2

Answer:

हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएंगे, कनक तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएँगे।

हम बहता जल पीनेवाले मर जाएँगे भूखे-प्यासे, कहीं भली है कटुक निबोरी कनक कटोरी की मैदा से,

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