हम पारीनुमा गगन के
विजय नगा पाएँगे
पुलकित पख टूट जाएँगे।
हम बहता जल पीने वाले
मर जाएँगे भूखे-प्यासे.
कहीं भली है कटुक निबोरी
कनक-कटोरी की मैदा से।
स्वर्ण-गृखला के बंधन में
अपनी गति, उड़ान सब भूले.
बस सपनों में देख रहे है
तरु की फुनगी पर के झूले।
ऐसे थे अरमान कि उड़ते
नील गगन की सीमा पाने,
लाल किरण-सी चोंच खोल
चुगते तारक -अनार के दाने।
Answers
Answered by
2
wonderfull
beautifull
Answered by
0
Answer:
Practice what U preech others
Similar questions
Biology,
1 month ago
Physics,
1 month ago
Computer Science,
4 months ago
Physics,
10 months ago
Math,
10 months ago