Hindi, asked by Visesh1234, 4 months ago

हम पारीनुमा गगन के
विजय नगा पाएँगे
पुलकित पख टूट जाएँगे।
हम बहता जल पीने वाले
मर जाएँगे भूखे-प्यासे.
कहीं भली है कटुक निबोरी
कनक-कटोरी की मैदा से।
स्वर्ण-गृखला के बंधन में
अपनी गति, उड़ान सब भूले.
बस सपनों में देख रहे है
तरु की फुनगी पर के झूले।
ऐसे थे अरमान कि उड़ते
नील गगन की सीमा पाने,
लाल किरण-सी चोंच खोल
चुगते तारक -अनार के दाने।​

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Answered by tyagisarthak61
2

wonderfull

beautifull

Answered by Anonymous
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