Hindi, asked by akhilareddy116, 4 months ago

हम प्रकृति के संदेशों से जीवन सफल बना सकते हैं कैसे​

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Answered by jayantip962
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महात्मा गांधी का कथन है कि पृथ्वी हमें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए सभी प्रकार के साधन प्रदान करती है, लेकिन लालच को पूरा करने के लिए नहीं। द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत समूचा वैश्विक जगत आर्थिक विकास की होड़ में इस कदर शामिल हुआ कि प्रकृति और जीव संबंध को धीरे-धीरे दरकिनार करता चला गया।

प्रकृति का दोहन करना वह अपना अधिकार मान बैठा। प्रकृति में आज ऐसी कोई चीज नहीं जिसका मानव ने व्यापार न किया हो फिर वह चाहे हवा हो अथवा पानी। उसका यही लालच आज समस्त मानव जाति के लिए काल बनकर विश्व भर में लाखों लोगों की जान ले चुका है।

मनुष्य ने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए किया होता तो ठीक था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मनुष्य ने प्रकृति को अपना गुलाम बनाना चाहा, लाभ के लिए जंगल काटे, जंगलों में आग लगाई, खनन किया, पानी का दोहन भी किया गया, प्रदूषण फैलाया। प्रकृति के कार्यों में मनुष्य ने व्यवधान पैदा करना शुरू किया। ऐसा करते हुए मनुष्य को भरोसा हो गया था कि उसने प्रकृति को पूरी तरह पराजित कर दिया है। लेकिन वह शायद भूल कर बैठा कि प्रकृति शाश्वत है। परिणामस्वरूप प्रकृति द्वारा प्रहार तो होना ही था।

Answered by proxy001in
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Answer:

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Explanation:bjhbhu

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