। हमें प्रतिदिन कुछ समय प्रकृति के सम्पर्क में अवश्य बिताना चाहिए।
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प्रकृति से नजदीकी हमें मानसिक सेहत दुरुस्त रखने में सहायक है। जंगल की सनसनाती हवा, पेड़ों पर बैठे चहचहाते पक्षी, झरने व पानी की आवाजें – ये सभी प्राकृतिक ध्वनियां मन को तो शांत करती ही हैं, संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हैं। यही नहीं, हरियाली से ओत-प्रोत प्राकृतिक दृश्य महामारी के नकारात्मक प्रभावों को भी कम करने में कारगर हैं।
यह बात हाल ही में हुए दो महत्वपूर्ण शोधों में सामने आई है। एक अध्ययन ब्रिटेन में किया गया है तो दूसरा कनाडा में।
ब्रिटेन में हुए पहले अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 5,556 लोगों पर शोध किया, जिससे यह निष्कर्ष निकला कि जो लोग बाग-बगीचों व खुली जगहों में जा सकते थे या जिनके घर पर छोटा-सा बगीचा था, वे हर मुश्किल घड़ी में सकारात्मकता से भरे रहे। वे कोरोना काल के प्रतिबंधों में भी मानसिक रूप से स्वस्थ रहे। इस अध्ययन के सह-लेखक कार्डिफ़ मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के डॉ. रियानोन फिलिप्स के अनुसार, हरियाली हमें प्रकृति से जोड़ती है। इससे लोग सक्रिय होते हैं और प्रतिबंधों के दौर में भी एक दूसरे से जुड़ाव का अनुभव करते हैं। अतः कठिन समय में मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए हमें घर के अपने बगीचे में कुछ समय बिताना चाहिए।