हम पहाड़ की मवहलाएँ हैं
पहाड़ की ही तरह मिबतू औरनािकु
हम नवियाँ हैं
नसें हैं हम इस धरती की
हम हररयाली हैं
हमने चेहरे की रौनक
वबछाई है इसके खेतों में
हमीं से बचे हैं लोकगीत
पढ़ी वलखी नहीं हैं तो क्या
सांस्कृवत की िाहक हैंहम
हमारे हाथों में थमाओ कलमें
पकड़ाओ मशालें
आओ हमारे साथ
हम बनेंगेक्ाांवत की िाहक
हमारी ओर िया से नहीं
बराबरी और सम्मान से िेखो । यह किस किताब मैं है ये कबीता
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d jaisa khalar iss Gaurav he also uff jagath ideas Harris Haldia Andhra tukdo
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