Hindi, asked by kaushik4306, 2 months ago

हम पक्षी उन्मुक्त गगन के शब्दार्थ​

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Answered by jasmitavaafs2jodhpur
1

Answer:

हम पंछी उन्मुक्त गगन के का भावार्थ

उनका कहना है कि हम तो नदी-झरनों का बहता जल पीने वाले हैं। ... वास्तव में पक्षी खुले वातावरण में घूम-घूमकर बहता जल पीकर और नीम की निबौरी को खाकर ही खुश रहते हैं। पक्षियों के माध्यम से कवि कहता है कि सोने की सलाखों से निर्मित पिंजरे में रहकर तो हम अपनी उड़ान व उसकी गति भी भूल गए हैं।

Answered by shiza7
2

हम पंछी उन्मुक्त गगन के का भावार्थ;

उनका कहना है कि हम तो नदी-झरनों का बहता जल पीने वाले हैं। ... वास्तव में पक्षी खुले वातावरण में घूम-घूमकर बहता जल पीकर और नीम की निबौरी को खाकर ही खुश रहते हैं। पक्षियों के माध्यम से कवि कहता है कि सोने की सलाखों से निर्मित पिंजरे में रहकर तो हम अपनी उड़ान व उसकी गति भी भूल गए हैं।

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