Hindi, asked by tarkeshwart429, 5 months ago

हम पक्षी उन्मुक्त उन्मुक्त गगन के पिंजर बन्ना गा पाएंगे कनक तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएंगे हम बहता जल पीने वाले मर जाएंगे भूखे प्यासे कहीं भली है कटुक निबोरी कनक कटोरी की मैदा से स्वर्ण श्रृंखला के बंधन में अपनी गति उड़ान सब भूल है बस सपनों में देख रहे हैं तरु की फुकनी पर के झूले ऐसे थे अरमान की ओर से नीले नभ की सीमा पाने लाल किरण सी चोरी चुपके तारक अनार के द

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Answered by HarapriyaPatra
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what to do here? explain the poem?

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