हमारा आत्मबल कब पुष्ट होता है?
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मित्रता या दोस्ती दो या अधिक व्यक्तियों के बीच पारस्परिक लगाव का संबंध है। जब दो दिल एक-दूसरे के प्रति सच्ची आत्मीयता से भरे होते हैं, तब उस सम्बन्ध को मित्रता कहते हैं। यह संगठन की तुलना में अधिक सशक्त अंतर्वैयक्तिक बंधन है। [1] मित्रता की अवधारणा, स्वरूप और उसके सामाजिक-मनोवैज्ञानिक पक्षों का समाजशास्त्र, सामाजिक मनोविज्ञान, नृतत्वशास्त्र, दर्शन, साहित्य आदि आकादमिक अनुशासनों में अध्ययन किया जाता रहा है। इससे संबंधित अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है। जैसे कि सामाजिक विनिमय सिद्धांत, साम्य सिद्धांत, संबंधात्मक द्वंद्ववाद, आसक्ति पद्धति आदि। विश्व खुशहाली डाटाबेस के अध्ययनों में पाया गया है कि करीबी संबंध रखने वाले लोग अधिक खुश रहते हैं।.....
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जीवन में आगे बढ़ने का सर्वोत्तम मार्ग है खुद पर विशवास ...
जो लोग खुद पर विश्वास रखकर खुद पर भरोसा करते है , जीवन में कभी मार नहीं खाते ...
ऐसे लोग मुश्किलों को भी आसान करलेते हैं और सफलता सदैव उनके कदम चूमती है....
आत्म विश्वास से युक्त इंसान कभी भी दूसरों के साथ अपना नुक़ाबला नहीं करते , वे अपने विश्वास के बल पर आगे बढ़ते हैं ....
दूसरा ऐसे लोग सदा पॉजिटिव सोच रख कर ही अपने गंतव्य तक पहुँच जाते हैं ....उन्हें आंतरिक शक्ति सदा प्रेरित कर हिम्मत
देती रहती है ...
नेगेटिव सोच कभी भी अपना साया इन पर पड़ने नहीं देती ...सो आत्मबल जीवन की शक्ति है और पॉजिटिव सोच उसका संचार करती है .
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