Hindi, asked by jigyasachopracool, 1 year ago

"हमारे बुजुर्ग हमारी धरोहर" विषय पर परियोजना कार्य तैयार कीजिए

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Answered by niharika9585
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मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः - इस पंक्ति को बोलते हुए हमारा शीष श्रद्धा से झुक जाता है और सीना गर्व से तन जाता है । यह पंक्ति सच भी है जिस प्रकार ईश्वर अदृश्य रहकर हमारे माता पिता की भूमिका निभाता है उसी प्रकार माता पिता हमारे दृश्य, साक्षात ईश्वर है। इसीलिए तो भगवान गणेश ने ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करने की बजाय अपने माता पिता शिव- पार्वती की परिक्रमा करके प्रथम पूज्य होने का अधिकार हांसिल कर लिया था, किन्तु आज के इस भौतिक वाद (कलयुग) में बढ़ते एकल परिवार के सिद्धान्त तथा आने वाली पीढ़ी की सोच में परिवर्तन के चलते ऐसा देखने को नही मिल रहा है। कुछ सुसंस्कारित परिवारों को छोड़ दें तो आज अधिकांश परिवारों में बुजुर्गों को भगवान तो क्या, इंसान का दर्जा भी नही दिया जा रहा है। किसी जमाने में जिनकी आज्ञा के बगैर घर का कोई कार्य और निर्णय नही होता था। जो परिवार में सर्वोपरि थे। और परिवार की शान समझे जाते थे आज उपेक्षित, बेसहारा और दयनीय जीवन जीने को मजबूर नजर आ रहे है यहां तक कि तथा कथित पढ़े लिखे लोग जो अपने आप को आधुनिक मानते है , अपने आपको परिवार की सीमाओं में बंधा हुआ स्वीकार नही करते हैं और सीमाऐं तोड़ने के कारण पशुवत व्यवहार करना सीख गये हैं वे अपने माता पिता व अन्य बुजुर्गों को ’’रूढ़ीवादी’’, ’’सनके हुये’’ तथा ’’पागल हो गये ये तो’’ तक का सम्बोधन देने लगे है। 

     क्या आप नही जानते मां बाप ने आपके लिए क्या-क्या किया है या जानते हुये भी अनजान बनना चाहते हैं ? मैं आपकी याददाष्त इस लेख के माध्यम से लौटाने की कोशिश कर रहा हॅंू। 

     वो आपकी मां ही है जिसने नौ माह तक अपने खून के एक एक कतरे को अपने शरीर से अलग करके आपका शरीर बनाया है और स्वयं गीले मे सोकर आपको सूखे में सुलाया है, इन्ही मां-बाप ने अपना खून पसीना एक करके आपको पढ़ाया-लिखाया, पालन-पोषण किया और आपकी छोटी से छोटी एवं बड़ी से बड़ी सभी जरूरतों को अपनी खुशियों, अरमानों का गला घोंट कर पूरा किया है। कुछ मां-बाप तो अपने बच्चे के उज्जवल भविष्य के खातिर अपने भोजन खर्च से कटौती कर करके उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को विदेश भेजते रहे। उन्हंे नही मालूम था कि बच्चे अच्छा कैरियर हासिल करने के बाद उनके पास तक नही आना चाहंेगे। वे मां-बाप तो अपना यह दर्द किसी को बता भी नही पाते। यह आपके पिता ही है जिन्हांेने अपनी पैसा-पैसा करके जोड़ी जमा पूंजी और भविष्य निधि आपके मात्र एक बार कहने पर आप पर खर्च कर दी। और आज स्वयं पैसे-पैसे के लिए मोहताज हो गये। तिनका-तिनका जोड़कर आपके लिए आशियाना बनाया और आज आप नये आशियाने के लिऐ उन पर भावनाओं से लबालेज उनके आशियाने को बेच देने का दवाब बना रहे है, उनके तैयार नही होने पर उन्हे अकेला छोड़कर अपनी इच्छा की जगह जाकर उन्हे दण्ड दे रहे है। आपने कभी सोचा है कि मां-बाप ने यह सब क्यों किया।

    आपको मालूम होना चाहिए कि वे केवल इसी झूठी आशा के सहारेे यह सब करते रहे कि आप बड़े हांेगे कामयाब होगें और उन्हें सुख देंगे और आपकी कामयाबी पर वो इठलाते फिरेंगे। मां-बाप जो मुकाम स्वयं हासिल नही कर पाये उन्हें आपके माध्यम से पूरा करना चाहते है लेकिन बच्चे उनका यह सपना चूर-चूर कर देते हैं।

    कुछ परिवारों में बुजुर्गों को ना तो देवता समझा जाता है और ना ही इन्सानों जैसा व्यवहार किया जाता है बस बुजुर्ग उपेक्षित, बेसहारा और एकान्तवास में रहकर ईश्वर से अपने बूलावे का इन्तजार मात्र करते रहते हैं।

     आप सोच रहे होगे कि हम तो ऐसा नही करते लेकिन मैं आपको बताना चाहुंगा कि अनजाने में आपसे ऐसा हो जाता है जिससे मां-बाप का दिल दुख जाता है। नीचे कुछ पंक्तियों मे ऐसी ही बातें मैं आपके सामने रख रहा हूॅ।

    आज हम अपने आसपास किसी ना किसी बुजुर्ग महिला या पुरूष पर अत्याचार होते देखकर, “उनका निजी मामला है “ ऐसा कहकर क्या अपनी मौन स्वीकृति नही दे रहे है ? आज कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ी है यह अच्छी बात है लेकिन इसका तात्पर्य यह नही है कि बुजुर्ग मां-बाप आपके मात्र चौकीदार और आया बनकर रह जायें। बुजुर्ग महिला अपने पोते-पोतियों की दिनभर सेवा करे, शाम को बेटे-बहू के ऑफिस से आने पर उनकी सेवा करे। क्या इसी दिन के लिए पढ़ी-लिखी कामकाजी लड़की को वह अपनी बहू बनाती है। लेकिन क्या करे मां का बड़ा दिल वाला तमगा जो उसने लगा रखा है सभी दर्द को हॅसते-हॅसते सह लेती है। कभी उसके दिल के कोने में झांक कर देखों छिपा हुआ दर्द नजर आ जायेगा। यदि आप अपना कर्ज चुकाना चाहते है तो दिल के उस कोने का दर्द अपने प्यार से मिटा दो।

   

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Answered by tomarshivendra61
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bujrg hamari dharonar hai

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