हमारे घर में सुबह तारों के हिसाब से और ताऊ की खट-खट से होती थी। सोए-सोए खट-खट का
परिचित शब्द मुझे सुरक्षा की एक सुखद अनुभूति दे जाता है। मैं प्रायः ताई के साथ ही सोती थी। जब वह
बैठ जाती तो रजाई का मुँह खुल जाता। मुझे ठंड लगती। पर मुझे यह पता था कि थोड़ी देर में ताई उठ जायेगी
और पूरी रजाई की गरमाहट पर मेरा अधिकार होगाः
उपर्युक्त गद्यांश का वर्णन किसमें किया गया है?
प्रस्तुत गद्यांश के लेखिका का क्या नाम है ?
लेखिका के घर में सुबह किस प्रकार दस्तक देती थी ?
-सासरिता
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