हमारी हहंदी सजीव भाषा है इसी कारर इसने अरबी
, फारसी आदद के संपकर मे आकर इनके तो शबद गहर वकए ही है
,
अब अंगेजी के भी शबद गहर
Kim करती जा रही है इसे दोष नही गुर ही समझना चावहए
; कयोवक अपनी इस गहर
शलक से हहंदी अपनी वृजद कर रही है
, हास नही जयो
-जयो इसका पचार बढेगा तयो
-तयो इसमे नए शबदो का आगमन
होता जाएगा कया भाषा की ववशुदता के वकसी भी पकपाती मे यह शलक है वक वह ववभभन जावतयो के पारसपररक
संबंर को ना होने दे अथवा भाषाओ की समृद समममशर वकया मे रकावट पैदा कर दे
? यह कभी संभव नही हमे तो
के वल इस बात का धयान रखना चावहए वक इस समममशर के कारर हमारी भाषा अपने सवरप को तो नही नष कर रही
--
कही अनय भाषाओ के बेमेल शबदो के धमशर से अपना रप तो ववकृ त नही कर रही अभभपाय यह वक दसरी भाषाओ
के शबद
, मुहावरे आदद गहर करने पर भी हहंदी हहंदी ही बनी रही है या नही
, वबगड कर कही वह कु छ और तो नही
होती जा रही
?
वनमनललखखत मेसेवनदरशानुसार सबसेउधचत ववकलपो का चयन कीजजए;-
(1)
इस अवतरर का उधचत शीषरक कया हो सकता है
?
1क) धमभशत भाषा ख
) सजीव भाषा
ग) हहंदी और फारसी घ
) हहंदी का महातमय
(2)
हहंदी भाषा की वह कौन
- सी ववशेषता है जजसे लेखक ने गुर माना है
, दोष नही
क) दसरी भाषाओ के शबद गहर ना कर पाना
ख) दसरी भाषाओ के शबद गहर कर लेना
ग) हहंदी का पचार करना
घ) भाषाओ के समममशर मे रकावट पैदा करना
1
(3)
हहंदी मे नए शबदो को अपनाते समय वकस बात को धयान मे रखना चावहए
?
क) हहंदी का अपना सवरप ववकृ त ना हो
ख) सही अथर पापत हो
ग) वह शबद पढा जा सके
घ) वह शबद दसरी भाषा का ना हो
1
(4)
सजीव भाषा से तातपयर है
:-
क) समय के साथ यह अनय भाषाओ के शबदो को गहर कर लेती है
ख) इसका पचार होता रहता है
ग) इसमे पकपात की शलक है
घ) यह अनय भाषाओ के बेमेल शबदो को गहर कर लेती है
1
(5)
ववशुदता शबद मे पयुक उपसगर
, पतयय और मूल शबद को छांदटए
क) वव+शुद+ता ख
) ववशुद+ता
ग) वव+शुदता घ
) ववशु+राता
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It's the feeling of truly enjoying your life, and the desire to make the very best of it. Happiness is the "secret sauce" that can help us be and do our best. Here's what researchers found when they studied happy people: Happy people are more successful.
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I did not know because it is to long
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