हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका’ क्या है? इस विषय पर दस वाक्य लिखिए।
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डाकिया’ भारतीय सामाजिक जीवन की एक आधारभूत कड़ी है। डाकिया द्वारा डाक लाना, पत्रों का बेसब्री से इंतज़ार, डाकिया से ही पत्र पढ़वाकर उसका जवाब लिखवाना इत्यादि तमाम महत्त्वपूर्ण पहलू हैं, जिन्हें नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। उसके परिचित सभी तबके के लोग हैं। हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। भले ही अब कंप्यूटर और इ-मेल का ज़माना आ गया है पर, डाकिया का महत्त्व अभी भी उतना ही बना हुआ है जितना पहले था।
कई अन्य देशों ने होम-टू-होम डिलीवरी को खत्म करने की तरफ कदम बढ़ाये हैं, या इसे सुविधा-शुल्क से जोड़ दिया है, वहीं भारतीय डाकिया आज भी सुबह से शाम तक चलता ही रहता है। डाकिया कम वेतन पाकर भी अपना काम अत्यन्त परिश्रम और लगन के साथ संपन्न करता है। गर्मी, जाड़ा और बरसात का सामना करते हुए वह समाज की सेवा करता है। भारतीय डाक प्रणाली की गुडविल बनाने में उनका सर्वाधिक योगदान माना जाता है।
कई अन्य देशों ने होम-टू-होम डिलीवरी को खत्म करने की तरफ कदम बढ़ाये हैं, या इसे सुविधा-शुल्क से जोड़ दिया है, वहीं भारतीय डाकिया आज भी सुबह से शाम तक चलता ही रहता है। डाकिया कम वेतन पाकर भी अपना काम अत्यन्त परिश्रम और लगन के साथ संपन्न करता है। गर्मी, जाड़ा और बरसात का सामना करते हुए वह समाज की सेवा करता है। भारतीय डाक प्रणाली की गुडविल बनाने में उनका सर्वाधिक योगदान माना जाता है।
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डाकिए का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। पहले की तुलना में
बेशक डाकिए अब कम ही दिखाई देते हैं परन्तु आज भी गाँवों में
डाकिए का पहले की तरह ही चिट्ठियों को आदान-प्रदान करते हुए
देखा जा सकता है। चाहे कितना मुश्किल रास्ता हो, ये हमेशा हमारी
चिट्ठियाँ हम तक पहुँचाते आए हैं। आज भी गाँवों में डाकियों को
विशेष सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। गाँव की अधिकतर आबादी
कम पढ़ी लिखी होती है परन्तु जब अपने किसी सगे-सम्बन्धी को पत्र
व्यवहार करना होता है तो डाकिया उनका पत्र लिखने में मदद करते
है। आज चाहे शहरों में चिट्ठी के द्वारा पत्र-व्यवहार न के बराबर हो
पर ये डाकिए हमारे स्मृति-पटल में सदैव निवास करेगें।
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