हमारे जीवन में श्रम और श्रमिक का क्या महत्त्व है ?
प्रस्तावनाः मनुष्य सामाजिक प्राणी है। समाज में जीवन व्यतीत करने के लिए उसे श्रम करना पड़ता है। अतः
जीवन में श्रम का बड़ा महत्व है। श्रम के बिना जीवन का विकास असंभव है। श्रम ही वह भाग्य है जिसके
बल पर प्रकृति के कण-कण का निर्माण किया जा सकता है। आज प्रकृति में जो कुछ भी विकास दिखायी
दे रहा है वह सब उसी कुशल श्रमिक के श्रम-जल का फलस्वरूप है।
विषयवस्तुः श्रमिक के बिना दुनिया की कल्पना नहीं की जा सकती है। आज दुनिया में जितने भी विकास
कार्य जैसे यातायात, कृषि, स्वास्थ्य, खाद्य, शिक्षा फिर चाहे जो भी क्षेत्र हो उन सबमें श्रमिक की छाप
दिखायी पड़ती है। उसके बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। वाहन, रेल, हवाई जहाज, बड़ी-बड़ी
अट्टालिकाएँ, भवन, स्मारक, धरोहरें ये सभी उसी के श्रम की देन है।, अतः उसके श्रम के बिना यह दुनिया
बंजर दिखती है। उसी
उसी के श्रम से आज रेगिस्तान में फूल खिल रहे हैं। पहाड़ों पर पुल बन रहे हैं और समुद्र
की गहराइयों से मोती-सीपी निकाले जा रहे हैं। स्वाभाविक है यह सब उसके श्रम का ही परिणाम है।
उपसंहारः यह प्रकृति जितनी सुंदर है उसे सजाने वाला श्रमिक भी उतना ही गुणी है। श्रमिक के श्रम के
बिना आज के आधुनिक युग की कल्पना नहीं की जा सकती। अतः श्रम करने पर असंभव कार्य भी संभव
बनता है।
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