हमारे जीवन में उत्साह का विशेष स्थान है।
किसी काम को करने के लिये सढ़ा तैयार
रहना तथा उस काम को करने में आनन्द,
अनुभव करना, ठत्साह का प्रमुख लक्षण है।
उत्साह कई प्रकार को होता है, परन्तु सच्चा
उत्साह ही होता है, जो मनुष्य को कार्य
करने के लिए प्रेरणा देा मनुष्य किसी भी
कारातश जब किसी के कष्ट को दूर करने
का संकल्प करता है, तब जिस सुछ को
वह अनुभवक रहा है, वह सूल विशेष के
रूप से प्रेरणा देने वाला छता है। इसी
उत्साह के लिये कहा भी गया है, जिस
कार्य को करने के लिये मनुष्य में कष्ट,
दूख या शनि को सहन करने की ताकत
आती है, उन सबसे उत्पन्न आल्द ही
उत्साह कहलाता है। दान देने वाला व्यक्ति
अपने भीतर एक विशेष सास रखता है,
और वह है धन-त्पाग का सहास। यदि
ठी त्याग मनुष्य प्रसन्नता के साथ करता
है, और वह है धन-त्याग का सहारा।
यदि वहीं त्याग सनुव्य प्रसन्नता के साथ
करता है तो इसी प्रकार, यूर क्षेत्र में वीरता
दिखाने वाला तथा दया करने के लिये ठिरहा
दिखाने वाले भी अपने अपने खेत में उत्साह का
कार्य करने वाले हैं। प्रशन - इस गद्यंआश का उचित शीर्षक क्या है?
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इस गन्धाँश का उचित शिषर्क है अपने उत्साह को hmesa बढाकर रखना चाहिए
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