हमारी ख्वाहिश
केवल
पढ़ने
देखना है ज़ोर कितना, बाजू-ए-क़ातिल में है।
सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है,
नेकर आए'-क्या आप
अनुभव और बड़ों से
लिए
ना है या मुश्किल?
लतियों के लिए माफ़ी
ने
अनुभव
के आधार
रहबरे राहे मुहब्बत, रह न जाना राह में,
लज्जते सहरा नवर्दी, दूरी-ए-मंज़िल में है।
वक्त आने दे, बता देंगे तुझे, ऐ आसमाँ!
हम अभी से क्या बताएँ, क्या हमारे दिल में है!
अब न अगले वलवले हैं, और न अरमानों की भीड़,
एक मिट जाने की हसरत, अब दिले 'बिस्मिल' में है।
आज मक़तल में ये क़ातिल, कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत, भी किसी के दिल में है!
ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत, तेरे जज़्बों के निसार,
तेरी कुर्बानी का चर्चा, गैर की महफ़िल में है।
कारण बारीक अंतर
में प्रयोग कीजिए-
बना है। क्षणिक,
का रूपांतर दूसरे
रामप्रसाद 'बिस्मिल'
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sahi bole ho. bhai you are correct
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