हमारे लिये कौन-सा धन अलभ्य है।
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प्रभु ने तुमको कर दान किए,
सब वांछित वस्तु विधान किए।
तुम प्राप्त करो उनको न अहो,
फिर है यह किसका दोष कहो।।
समझो न अलभ्य किसी धन को,
नर हो, न निराश करो मन को।
Ans. कविता के अनुसार,हमारे लिए कोई धन अलभ्य नहीं है।
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