हमारे मालकिन तो रात दिन किताबियान मा गड़ी रहती हे। अब हम हूं पढ़े लागब तो घर गृहस्ती। काउंट देखी सुनी। लोक भाषा के इस संवाद को समझ कर खड़ी बोली हिंदी में ढ़ाल कर
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iska mtlb h ki hamare malkin to raat me kitabe kuch jayada hi padhte h agar hum bhi padhne lage to ghar ko kon shabhalega
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हमारे मालकिन तो रात दिन किताबियान मा गड़ी रहती हे। अब हम हूं पढ़े लागब तो घर गृहस्ती। काउंट देखी सुनी। लोक भाषा के इस संवाद को समझ कर खड़ी बोली हिंदी में ढ़ाल कर निम्न प्रकार से लिखा गया है।
हिंदी में इसे निम्न प्रकार से लिखा जाएगा।
हमारी मालकिन तो दिन रात किताबें पढ़ती रहती है। अब यदि हम भी उन्हीं की तरह किताबें पढ़ते रहे तो घर गृहस्थी कौन संभालेगा?
खड़ी बोली की विशेषताएं
- आजकल हिंदी साहित्य में खड़ी बोली का बहुत चलन है।
- खड़ी बोली में देवनागरी लिपि का प्रयोग होता है जिसमें संस्कृत, पालि व प्राकृत आदि के शब्दो के साथ प्रचलित भाषाओं का प्रयोग किया जाता है।
- मुसलमान शासक उत्तर भारत की खड़ी बोली को दक्षिण में ले आए थे।
- उन मुसलमान शासकों ने इसे अरबी - फ़ारसी में लिखा तथा दक्षिणी हिंदी - उर्दू नाम दिया।
- उन्नीसवीं व बीसवीं सदी में इस भाषा का विकास हुआ।
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