हम राम राज्य की आज भी कामना क्यों करते हैं?
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kyunki vah rajputon ke Raja the aur unka surname Raghav tha
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जब हम राम राज्य और वर्तमान की सर्वाधिक प्रासंगिक और स्वीकार्य शासन प्रणाली लोकतंत्र की चर्चा करतें हैं तब पातें हैं कि राम राज्य तो लोकतंत्र का सबसे जीवंत उदाहरण था जिसमें धोबी की कही बात से राज परिवार का निजी जीवन भी प्रभावित होता था. आज के समय में जो राजनीतिज्ञ अपनें निजी जीवन को अपनें सार्वजनिक जीवन से अलग रखनें कि अपील करते नहीं थकते हैं और कुछ अजीबोगरीब प्रकार की आचरण गत रियायतों और छूटों की आशा रखतें हैं तब राम राज्य का माता सीता और धोबी वाला अध्याय एक प्रेरक संदेशवाही अध्याय बनकर उपस्थित होता है जिसमें राम ने धोबी की बात पर अपनें व्यक्तिगत और वैवाहिक जीवन की स्थिति पर निर्णय कर एक राजा की भूमिका का जीवंत और कालजयी उदाहरण प्रस्तुत कर दिया था. राम राज्य में नागरिकों के साथ साथ पशु-पक्षियों के साथ भी न्याय होता था. रामराज्य समाजवाद के तत्वों पर आधारित राज्य था. प्रभु श्री राम ने अपनी सम्पूर्ण संपत्ति दान में दे दी और स्वयं मिट्टी के पात्र में भोजन करते और सामान्य शयन-विहार करते थे. निस्संदेह कहा जा सकता है कि रामराज्य कल्पना से नहीं, इस प्रकार के आचरण को चरितार्थ करनें से ही स्थापित हो सकता है. लोक और और शासन में सद्भावना तभी हो पाएगी जब नीतिपूर्वक कार्य किए जाएं. वर्तमान राजनैतिक परिवेश में में राजधर्म और गठबंधन धर्म एक सर्वाधिक चर्चित पहलु है. राजनीति के इस नए उपजे पक्ष पर यदि हम चर्चा करें तो ध्यान आएगा कि