Hindi, asked by ns0482575, 3 months ago

हमारे मत में हिंदी और उर्दू दो बोली न्यारी न्यारी है यह कथन किस ले का है​

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Answered by aniket20052911
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Answer:

"RAJA LAKSHAMAN SINGH" JI NE KAHA THA

Answered by shishir303
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हमारे मत में हिंदी और उर्दू दो बोली न्यारी न्यारी है यह कथन किस लेखक का है​?

'हमारे मत में हिंदी और उर्दू दोनों बोली न्यारी हैं। यह कथन हिंदी के लेखक 'राजा लक्ष्मण सिंह' का था।

'राजा लक्ष्मण सिंह' ने कहा था कि हमारे मत में हिंदी और उर्दू दोनों बोली न्यारी हैं। हिंदी भाषा को इस देश के अधिकतर हिंदू लोग बोलते हैं तो वही मुसलमान लोग उर्दू भाषा बोलते हैं। इसके अतिरिक्त जो पढ़े लिखे लोग हैं वह भारतीय भाषा बोलते हैं।

उनका यह कथन भारत की आजादी से पहले के संदर्भ में था। तब फारसी भाषा को पढ़े लिखे लोगों की भाषा माना जाता था और राजकाज  के कार्य में भी भारतीय भाषा का ही अधिकतर प्रयोग होता था। हिंदी और उर्दू आम बोलचाल की भाषा थी, जिनमें हिंदी भाषा हिंदू समुदाय के लोग बोलते थे। उर्दू भाषा मुस्लिम समुदाय के लोग बोलते थे।

राजा लक्ष्मण सिंह ने कहा कि हिंदी-उर्दू में हिंदी में संस्कृत के पद बहुत आते हैं और उर्दू में फारसी के पद बहुत आते हैं। पर ये आवश्यक नहीं की अरबी फारसी के शब्दों के बिना हिंदी बोली ही ना जाए। हिंदी को फारसी के शब्दों के सहारे की बहुत अधिक आवश्यकता नहीं है।

राजा लक्ष्मण सिंह हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक रहे हैं।

राजा लक्ष्मण सिंह ने कालिदास के तीन ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद किया था। यह ग्रंथ शकुंतला और मेघदूत थे।

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