हमारे नगर में केलो नदी बहती है । उसका करके स्वच्छता हेतू हमें क्या करना चाहिए?इस विषय पर अपने विचार हिंदी में लिखें ।
संस्कृत में
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हमे साफ-सफाई रखने चाहीऐ
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छत्तीसगढ़, रायगढ़ का ख़मरिया गांव भारत के बाक़ी गांवों से कम भाग्यशाली नहीं है. इसकी सा़फ-सुथरी गलियां, सलीके से बनाए गए मिट्टी के घर यह बताते हैं कि दूसरे ग्रामीण इलाक़ों की समृद्धि किस तरह हो सकती है. केलो नदी इसी गांव से होकर गुज़रती है. यही नदी इन इलाक़ों की कृषि के लिए सिंचाई का साधन है. गांव से मुख्य मार्ग तक पहुंचने का साधन भी आसान है. बिजली आदि सभी सुविधाएं होने के कारण शिक़ायत की कोई वजह नहीं हो सकती है. लेकिन, यदि कोई इस गांव के आवासीय इलाक़ों से होकर गुज़रता है तो उसके मन में इसकी ग़लत छवि क्यों उभर आती है? सबसे ख़ास बात यह कि वह पानी जो खमरिया और इसके पड़ोसी गांवों का पालन पोषण करता है, काला हो रहा है. यह पानी पीने, नहाने और सिंचाई के लायक़ बिल्कुल ही नहीं रह गया है.
खमरिया के पास केलो नदी की जलधारा कोयला खान मालिकों और मोनेट इस्पात एवं ऊर्जा लिमिटेड द्वारा नियंत्रित होती है. यदि कोई चिड़िया उड़कर आए तो कोयले की खान से खमरिया गांव की दूरी तीन किलोमीटर से ज़्यादा नहीं होगी. जबकि घुमावदार सड़क से गांव और कोयला खान के बीच की दूरी पांच किलोमीटर पड़ती है. नदी में खदानों के पानी उत्सर्जन का स्रोत भी है. यह बात मुझे गांव के ही एक आदमी ने बताई. 5 दिसंबर 2009 को मैं वहां पहुंची. केलो नदी में कोयले के अपशिष्टों के प्रवाहित होने के किस्सों को सुनकर मैं बिल्कुल ही हैरान रह गई. उस ग्रामीण ने बताया कि दरअसल आज आप नदी की जो गंदगी देख रही हैं, वह एक सप्ताह पहले नदी में बहाए गए खदानों के अपशिष्टों का नतीजा है. केलो नदी खमरिया और उसके आसपास के ग्रामीणों के लिए महज़ जीविका का स्रोत नहीं है, बल्कि यह पूरे रायगढ़ ज़िले को पीने का पानी मुहैया कराती है. साथ ही यह महानदी की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है. यह नदी रायगढ़ शहर के पास भी प्रदूषण का दंश झेलती है, क्योंकि वहां उद्योग का़फी हैं
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